08 October 2024 06:15 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। हजारों साल पुरानी सभ्यता से जुड़ी व भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली खादी यानी खद्दर को बचाने की मुहिम में लगी राजस्थान की खादी संस्थाएं बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही है। इन खादी संस्थाओं का करीब 80 करोड़ रूपया राजस्थान सरकार के पास अटका पड़ा है। हालात यह है राजस्थान की यह संघर्षशील खादी संस्थाएं ब्याज भी घर से भुगत रही है।
खादी मिशन के राष्ट्रीय सह-संयोजक जवाहर लाल सेठिया के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-23 व 2023-24 का कुल मिलाकर 80 करोड़ रूपया अब तक राजस्थान सरकार ने नहीं दिया है। यह बकाया पैसा उस छूट स्कीम का है जो 2 अक्टूबर को गांधी जयंती से लेकर 30 जनवरी यानी शहीद दिवस तक ग्राहकों को दी जाती है।
जानकारी के अनुसार राजस्थान के खादी भंडारों पर ग्राहकों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है। यह छूट राजस्थान के उत्पादन पर दी जाती है। इसमें 35 प्रतिशत छूट का भार राजस्थान सरकार, 5 प्रतिशत छूट भारत सरकार व शेष 10 प्रतिशत संबंधित विक्रेता वहन करता है। हालांकि भारत सरकार एमडीए योजना के तहत वर्षभर ही पांच प्रतिशत छूट देती है।
जानकारी के अनुसार राजस्थान में करीब 150 खादी संस्थाएं हैं। ऐसे में करीब 150 संस्थाओं पर करीब 80 करोड़ रूपया का भार आ चुका है। सवाल यह है कि अगर खादी संस्थाएं इसी तरह से आर्थिक रूप से प्रताड़ित होती रही तो खादी के अस्तित्व की रक्षा कौन करेगा। खादी महज एक अनुकूल वस्त्र ही नहीं, यह भारतीय संस्कृति का मान भी है।
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