12 March 2021 04:55 PM
-रोशन बाफना
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम में मूत्र विसर्जन के भी पैसे देने पड़ते हैं। वहीं अगर किसी के पास पैसे नहीं हो तो या तो वह पेशाब रोक कर रखे या फिर जहां जगह मिले वहीं पर स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ा दे।
दरअसल, पीबीएम अस्पताल में अस्पताल की तरफ से निशुल्क पेशाब घर व शौचालय का भारी अभाव है। हालांकि हाल ही में माहेश्वरी धर्मशाला के पास वाले क्षेत्र में एक पेशाब घर का निर्माण करवाया गया है। लेकिन यह भी केवल पुरुषों के लिए है। वहीं शौचालय तो एक भी नहीं है।
बता दें कि पीबीएम के वार्डों में बने शौचालय केवल भर्ती मरीजों के उपयोग के लिए होते हैं। ऐसे में मरीज़ परिजनों को बाहर बने सुलभ शौचालयों में जाना पड़ता है, जिनका उपयोग करने लिए दस रूपए का भुगतान भी करना पड़ता है। ऐसा ही हाल प्रतिदिन ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने आने वाले मरीजों का होता है। एक अनुमान के अनुसार पीबीएम की विभिन्न ओपीडी में प्रतिदिन करीब तीन हजार लोग आते हैं। 24 घंटे चलने वाले इस अस्पताल में प्रतिदिन हजारों मरीज़ व मरीज़ परिजन मूत्र विसर्जन को लेकर तनाव में रहते हैं। ये सभी राजस्थान, पंजाब व हरियाणा से आए लोग होते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सिर्फ मूत्र विसर्जन के लिए दस रूपए खर्च करना भारी लगता है। तो वहीं लाइन में लगना, दूरी तय करना आदि विभिन्न समस्याएं भी तनाव बढ़ाती हैं। रात में यह समस्या और भी अधिक परेशान करती है, जब मरीज़ को अकेले छोड़कर पेशाब करने के ठिकाने तलाशने पड़ते हैं।
विश्लेषकों की मानें तो पीबीएम अस्पताल की क्षमता के अनुसार यहां कम से कम 20 निशुल्क पेशाब घर तो होने ही चाहिए। जिनमें 10 पेशाब घर महिलाओं के लिए सुरक्षित हों। वहीं कुछ निशुल्क शौचालय भी होना जरूरी है। बताया जा रहा है कि महिलाओं को तो यहां और अधिक परेशान होना पड़ता है। वें हर रोज यहां स्वयं को लज्जित व असहज महसूस करती हैं। हालात यहां तक होते हैं कि घंटों तक पेशाब रोकना पड़ जाता है। विडंबना यह है कि हर साल बड़ा बजट प्राप्त करने वाला पीबीएम वर्षों से मूलभूत सुविधाएं भी दे नहीं पा रहा है। चार सुलभ शौचालयों में पैसे देकर ही पेशाब कर सकने की मजबूरी हर व्यक्ति को असहज महसूस करवा रही है। दिल्ली के एम्स अस्पताल ने भी इस तरह की सुविधाएं मुफ्त दे रखी है, लेकिन पीबीएम में पैसे के बिना पेशाब भी नहीं किए जा सकते।अगर किसी मरीज परिजन को 12 घंटे के लिए भी पीबीएम में रहना पड़े तो उसे करीब 40-50 रूपए केवल पेशाब करने के खर्च करने पड़ सकते हैं।
तीन राज्यों के मरीजों की जरूरत बन चुके पीबीएम में यह अंधेरगर्दी सवाल खड़े करती है।
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