20 November 2020 02:20 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। यूपी में लव जिहाद पर कानून बनाने की ख़बर के साथ ही नेताओं के बयान आने शुरू हो गये हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बड़ा दिया है। उनके बयान से सोशल मीडिया में घमासान शुरू हो चुका है। गहलोत ने कहा है कि लव जिहाद भाजपा द्वारा राष्ट्र को विभाजित करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए निर्मित एक शब्द है। गहलोत ने कहा कि विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी अदालत में खड़ा नहीं होगा। गहलोत ने कहा है कि लव में जिहाद का कोई स्थान नहीं है।
गहलोत ने इसके साथ ही भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है वे राष्ट्र में एक ऐसा वातावरण बना रहे हैं, जहां सहमति व्यक्त करने वाले व्यस्क राज्य की दया पर होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा विवाह जैसे व्यक्तिगत निर्णय पर अंकुश लगा रही है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने जैसा है।
उन्होंने कहा कि ये सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, सामाजिक संघर्ष को भड़काने व राज्य जैसे संवैधानिक प्रवधानों की अवहेलना करने का काम है, जो संविधान किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पूर्व ही लव जिहाद पर कानून बनाने के संकेत दे दिए थे। जिसके बाद अब यूपी के गृह विभाग ने विधि मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। अगर यह कानून बना तो उत्तरप्रदेश इसमें पहला राज्य होगा। हालांकि मध्यप्रदेश ने इससे पहले ही इस कानून की रूपरेखा बना रखी है। मध्यप्रदेश इस पर आगामी सत्रों में आगे बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त बिहार, कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश भी इस कानून को लाने की तैयारी में है।
सूत्रों के मुताबिक ऐसा नहीं है कि यह कानून आने के बाद दो धर्मों के लोग आपस में विवाह नहीं कर सकेंगे। यदि दो धर्मों के लोग शादी करते हैं तो इस बात की जांच की जाएगी कि यह शादी कपटपूर्ण तरीके से, प्रलोभन देकर या ब्लैकमेलिंग के तहत तो नहीं की गई है। ऐसे विवाह पर जोड़े के रिलेटिव भी शिकायत कर सकेंगे। बताया जा रहा है कि ऐसी शादियां अगर कपटपूर्ण तरीके से, प्रलोभन देकर या ब्लैकमेल करके की गई तो अपराध माना जाएगा। दोष साबित होने पर 1 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान हो सकता है, साथ ही अर्थ दंड भी दिया जा सकता है। बता दें कि यूपी में लगातार लव जिहाद के मामले आने के बाद यह निर्णय लिया गया। वहीं सरकार इलाहबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी को इस कानून का आधार बना सकती है।
RELATED ARTICLES
12 September 2025 09:41 PM
14 October 2021 01:23 AM