25 November 2020 11:58 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। राजस्थान की राजनीति के चाणक्य का आज निधन हो गया। पूर्व मंत्री माणिकचंद सुराणा पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। उन्होंने जयपुर में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार गुरूवार को बीकानेर में होगा। परिजन उनकी पार्थिव देह को आज बीकानेर लेकर आएंगे।
सुराणा राजनेता के साथ साथ पेशेवर वकील भी रहे। वे कानून और राजनीति के महारथी माने जाते थे। उनके नजदीकी रहे लोगों का कहना है कि बेसिक फोन के जमाने में सुराणा को दो हजार से अधिक नंबर याद थे, उन्हें डायरेक्टरी देखने की जरूरत नहीं पड़ती थी। राजनीति में बड़ा कद हासिल करने के बावजूद वे विनम्र व समय के पाबंद रहे। यही वजह रही कि डूंगर कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक शुरूआत करने वाले सुराणा ने जातिगत राजनीति के मिथक भी तोड़े। कोलायत, लूणकरणसर, नोखा व बीकानेर विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले सुराणा ने बीकानेर के अलावा कहीं पराजय नहीं देखी।
लूणकरणसर के जाट बाहुल्य क्षेत्र से विधायक चुने जाने वाले इस राजनेता की हार के पीछे नागौर के एक नेता का ब्राहम्णवादी बयान माना जाता है। चुनाव से दो दिन पूर्व दिए गए इस बयान का असर बीकानेर पर भी पड़ा और सुराणा को हार का सामना करना पड़ा। उनके नजदीकी रहे अधिवक्ता मदनगोपाल पुरोहित के अनुसार सुराणा जातिवाद के खिलाफ थे। एक बार मिलने पर भी व्यक्ति को नाम व पद सहित याद रखना व मिलाने वाले को भी याद रखने का गुण उनकी छाप लोगों के दिलों तक छोड़ता था। जनता दल से बीजेपी तक वे संकटमोचक की भूमिका निभाते रहे, तो बीजेपी से टिकट ना मिलने पर लूणकरणसर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर स्वयं को साबित किया। हालांकि इसके बाद 2018 का चुनाव वे नहीं लड़े।
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