23 December 2024 06:22 PM
दो साल में तबाह हुई पीबीएम, बिल्डिंगें बनीं, टेंडर हुए मगर मर रही जनता।
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। राजस्थान, पंजाब व हरियाणा की उम्मीद व बीकानेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीबीएम की दुर्दशा तो किसी से छिपी नहीं है। यहां अव्यवस्थाओं व भ्रष्टाचार के इतने किस्से हैं कि कई किताबें लिखी जा सकती है। हालांकि कि पीबीएम की दुर्गति कोई नयी बात नहीं है लेकिन पिछले दो साल में पीबीएम ने अव्यवस्थाओं के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। अभी पीबीएम की जिम्मेदारी यहां के अधीक्षक डॉ पीके सैनी के पास है। अव्यवस्थाओं व टेंडर प्रक्रिया में मिलीभगत के आरोपों से घिरे रहने वाले डॉ सैनी का ध्यान मूलभूत चीजों पर उतना नहीं है जितना अन्य चीज़ों में है।
अव्यवस्था का ताज़ा मामला ऐसा है कि सुनने वाले भी शर्म से पानी पानी हो जाएंगे। भले ही भामाशाहों के सहयोग से पीबीएम में करोड़ों की इमारतें बन रही है मगर यहां शौचालय जैसी अति मूलभूत सुविधा के लिए भी मरीजों व उनके परिजनों को परेशान होना पड़ता है। महिलाओं को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। एक दिन पहले आई वार्ड में कुछ महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ी। यहां ना तो टॉयलेट में पानी था और ना ही वॉश बेसिन में। हालात यह हुए कि बाहर से बोतल खरीदकर शौच जाना पड़ा। एडवोकेट अनिल सोनी ने बताया कि उनकी रिश्तेदार पीबीएम में भर्ती थीं। ऐसे में यह समस्या सामने आई। परेशान महिलाओं ने ही टॉयलेट व वॉश बेसिन का वीडियो बनाकर दिया। आरोप है कि पीबीएम अधीक्षक को इस संबंध में शिकायत की तो संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिला। पीबीएम के महिला वार्डों को गोद लेने वाले कमल गोयल को स्थिति से अवगत करवाया गया। उन्होंने भी पल्ला झाड़ते हुए मरीजों पर ही नल खुला छोड़ देने का आरोप लगाया।
-सरकार की फ्री टॉयलेट योजना व स्वच्छ भारत मिशन पर कड़ा तमाचा: एक तरफ देशभर में फ्री टॉयलेट योजना चल रही है। हर घर टॉयलेट बनवाने का मिशन जोरों पर है। सरकार टॉयलेट बनवाने के लिए पैसे देती है। दूसरी तरफ पीबीएम में टॉयलेट होने के बावजूद शौच जाना मुश्किल है। गंदगी की बात तो पुरानी हो गई, यहां तो जल की व्यवस्था ही नहीं है। आरोप है कि कई बार 24-24 घंटे तक भी जल नहीं आता।
एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत मिशन चला रही है, दूसरी तरफ पीबीएम जैसी जगह पर भी ये हालात हैं।
पीबीएम में तो इस ओर अधिक सतर्कता की आवश्यकता है। टॉयलेट आदि की सुविधा में तो कोई खामी रहनी ही नहीं चाहिए। इससे मरीजों में संक्रमण भी फ़ैल सकता है।
-आख़िर क्यों नहीं बनाए जाते हाइटेक टॉयलेट:- पीबीएम बहुत बड़ा अस्पताल है। यहां हर वक्त हजारों मरीजों का आवागमन रहता है। आख़िर यहां हाइटेक टॉयलेट व यूरिनल क्यों नहीं बनाए जाते। हाइटेक टॉयलेट व यूरिनल बनने से साफ सफाई अच्छी रहेगी। दूसरी बात हाथों के माध्यम से संक्रमण भी कम फैलेगा।
-आमजन भी रहें जागरुक:- पीबीएम व इसके टॉयलेट को साफ सुथरा रखने की जिम्मेदारी आमजन की भी है। जब भी टॉयलेट यूज करें तब फ्लश करें। हर कहीं थूकें नहीं। अगर पानी नहीं हो या साफ सफाई नहीं हो तो शासन प्रशासन को शिकायत करें। देखें वीडियो
RELATED ARTICLES