30 June 2020 11:46 PM

ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। बीकानेर नगर निगम महापौर द्वारा गठित समितियों के ऊपर राज्य सरकार द्वारा नयी समितियां गठित करने से बीकानेर की राजनीति गर्मा गई है। निगम की इन सत्तरह समितियों का पुनर्गठन स्वायत शासन विभाग ने कर दिया है। जबकि महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कुछ माह पूर्व ही समितियां गठित कर दी थी, यहां तक कि समितियां संचालित भी होने लगी थी। इस लिस्ट के बाद भाजपा में हलचल है तथा राज्य सरकार पर लोकतंत्र की हत्या के आरोप लगाए जा रहे हैं। भाजपा पार्षदों का कहना है कि महापौर को इस तरह शक्तिहीन करना जायज नहीं है। हर समिति में प्राय: भाजपा के एक-एक पार्षद को ही शामिल किया गया है जबकि बीकानेर निगम में भाजपा का बोर्ड बना हुआ है। वहीं समितियों के पुनर्गठन में महापौर को सूचना तक नहीं दी गई और सीधे सूची जारी कर दी गई। हालांकि आदेश में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 55 की उप धारा 5 में प्रदत शक्तियों का प्रयोग करना बताया गया है। लेकिन सवाल उठता है कि सामान्य परिस्थितियों में ऐसी किसी धारा का प्रयोग करना संविधान संगत है अथवा नहीं? वहीं सवाल उठ रहे हैं कि सरकार इस तरह सीधे हस्तक्षेप कर अपनी पार्टी से जुड़े पार्षदों को समितियों में भर दे तो फिर चुनावी प्रक्रिया से बने बोर्ड व महापौर का क्या महत्त्व रह जाता है? सूत्रों के मुताबिक भाजपा बोर्ड इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने वाला है। ऐसे में निगम में एक बार फिर काम रुकने की आशंका बढ़ गई है।
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