05 March 2020 07:49 PM

	
				  
				      	 
			     
	
				  
				      	 
			     
भारतमाला भूमि अधिग्रहण मामले ने पकड़ा तूल
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। भारतमाला योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के बदले गैर-कानूनी तरीके से मुआवजा देने का प्रकरण अब गरमा गया है। मामले में जहां एक तरफ पांच हजार किसानों ने संविधान की पालना न होने से निराश होकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है तो वहीं चार जिलों के कलेक्टर, एसडीएम व पीडब्ल्यूडी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सहित अन्य अधिकारी राडार में आने लगे हैं। जालोर जिले में तो इस आशय का एक मुकदमा कलेक्टर सहित इन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज भी हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील रमेश दलाल ने ख़बरमंडी न्यूज़ को बताया कि भारतमाला प्रॉजक्ट के लिए सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन इसमें संविधान की धारा 26 की धज्जियां उड़ाई गई। इस धारा के अनुसार अधिग्रहीत की जा रही भूमि का बाज़ार मूल्य कलेक्टर द्वारा प्रमाणित किया जाता है, उसी के आधार पर मुआवजा दिया जाता है। हाल ही में गुजरात में इसी कानूनी प्रक्रिया के तहत अधिग्रहण कर किसानों को मुआवजा दिया गया। रमेश के अनुसार राजस्थान व गुजरात में भेदभाव किया गया है जो कि संविधान से मिले समानता के अधिकार का हनन है। आरोप है कि गुजरात में जिस गुणांक से मुआवजा दिया गया, राजस्थान में उसका लगभग आधे गुणांक में मुआवजा दिया गया। दलाल ने ख़बरमंडी को बताया कि अब राज्य सरकार द्वारा केंद्र की योजना में किए गए संविधान के उल्लघंन का कच्चा चिट्ठा सामने आया है। दलाल ने कहा है कि जालोर के बाद अब बीकानेर, हनुमानगढ़ व बाड़मेर में भी कलेक्टर आदि अधिकारियों के खिलाफ मुकदमें होंगे। वहीं बीकानेर ईकाई के अध्यक्ष छोगाराम तर्ड ने बताया कि जालोर से दो बसें भरकर किसान राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि संविधान की पालना नहीं की जा रही। सात माह के संघर्ष के बाद भी न्याय नहीं मिला, इसलिए इच्छामृत्यु की अनुमति चाहिए। वहीं युवा नेता प्रभुराम मूंड ने बताया कि वे लगातार सात माह से धरने पर बैठे हैं, इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। जयपुर में अतिरिक्त सचिव ने दस दिन का समय मांगा था, लेकिन अब दो दिन बाद वे भी पीछे हट गए हैं।
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