20 December 2021 08:44 PM

ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर।(रोशन बाफना की रिपोर्ट) पीबीएम में सोनोलॉजिस्ट का अभाव इमरजेंसी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। संभाग के इस सबसे बड़े अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में सोनोग्राफी मशीन तो है, मगर डॉक्टर ना होने से लंबे समय से यह विभाग बंद ही पड़ा रहता है। इमरजेंसी वाले गंभीर मरीजों को सोनोग्राफी के लिए पीबीएम की मुख्य बिल्डिंग स्थित 22 नंबर कमरे तक ले जाना पड़ता है। यहां जाने-आने में ही करीब तीस मिनट से अधिक का समय लग जाता है। यहां तक कि कई मरीजों को वहां तक लाने ले जाने वाला भी कोई नहीं होता। जबकि ट्रोमा के अंदर बने सोनोग्राफी कक्ष तक मरीज़ को ले जाने में मात्र 1 मिनट का समय लगता है। सोनोग्राफी से जुड़ी यह समस्या हेल्थ मिनिस्टर तक भी पहुंचाई जा चुकी है, मगर आज तक समाधान नहीं किया गया। जबकि संभाग के सबसे बड़े इस सरकारी अस्पताल में बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर व चुरू के अलावा नागौर व अन्य आसपास के जिलों से भी गंभीर मरीज़ लाए जाते हैं।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार पीबीएम में कुल पांच मशीनों पर मात्र दो सोनोलॉजिस्ट डॉ रिद्धिमा व डॉ सचिन ही हैं। ट्रोमा में एक मशीन है, वहीं दो मशीनें 22 नंबर में, एक जनाना में व एक एस एस बी में हैं। जनाना व 22 नंबर की मशीनें 24 घंटे चालू रहती है। लेकिन दूरी व मरीज भार की तुलना में ये मशीनें कम पड़ती है। सूत्र बताते हैं कि पीबीएम अधीक्षक व मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल द्वारा कई बार हेल्थ मिनिस्टर को लिखकर तीन और सोनोलॉजिस्ट की मांग की जा चुकी है। पूर्व में डॉ रघु शर्मा चिकित्सा मंत्री रहे, अब मंत्रीमंडल में बदलाव हो चुका है, नये चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा हैं। सवाल यह है कि संभाग के सबसे बड़े और आसपास के 5-7 जिलों को इमरजेंसी सेवा प्रदान करने वाले पीबीएम अस्पताल की समस्याओं को लेकर चिकित्सा मंत्री इतने शिथिल क्यूं हैं?? जबकि चिकित्सा से जुड़ी समस्याओं का समाधान तीव्र गति से होना अनिवार्य है। सूत्रों के प्रदेश में सोनोलॉजिस्टों की कमी भी नहीं है। पीबीएम से जुड़ी यह समस्या पांच जिलों के नागरिकों को प्रभावित कर रही है। यह समस्या अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचाने की तैयारी चल रही है।
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